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लेखनी कहानी -10-Mar-2022 उम्मीद

उम्मीदों के पंख लगाकर 

और ऊंचा उड़ जाऊंगा 
देखना, एक न एक दिन 
मैं अवश्य मंजिल पाऊंगा 

दुख क्या राह रोकेगा मेरी 
हिम्मत की लाठी रखता हूँ 
गमों के भीषण भंवर में भी 
साहस की कश्ती खेता हूँ 

परिश्रम के पहियों पे चलके 
सपनों के महल तक जाना है
बुद्धि विवेक के दांव पेंच से 
असंभव भी संभव करना है 

आत्मबल की शक्ति के संग 
विश्वास डबल हो जाता है 
सफलता सुंदरी को पाने को 
मन मचल मचल सा जाता है 

धन दौलत का क्या है "हरि" 
आज है कल किसने देखा 
जिसके पास हो उम्मीद रतन 
खिले उसी की भाग्य रेखा 

हरिशंकर गोयल "हरि"
10.3.22 

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5 Comments

HENA NOOR AAIN

23-May-2022 03:23 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 05:08 PM

बहुत बेहतरीन रचना

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Hari Shanker Goyal "Hari"

11-Mar-2022 11:15 PM

धन्यवाद मैम

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Swati chourasia

10-Mar-2022 05:38 PM

बहुत खूब 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Mar-2022 09:10 PM

🙏🙏🙏

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